शायद फुरसत नहीं रूठने मनाने की निगाहें बदल गई अपने और बेगाने की तुम ना छोड़ना हाथ दोस्ती का वरना तमन्ना न रहेगी दोस्त बनाने की !!

 शायद फुरसत नहीं रूठने मनाने की निगाहें बदल गई अपने और बेगाने की तुम ना छोड़ना हाथ दोस्ती का वरना तमन्ना न रहेगी दोस्त बनाने की !!