एक बार एक शहरी परिवार मेले मेँ घुमने



एक बार एक शहरी परिवार मेले मेँ घुमने

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गया, मेले मेँ 1 घंटे तक घुमे,

कि

अचानक उनका बेटा मेले मेँ खो गया,

दोनो पति-पत्नी

उसे मेले मेँ बहुत ढ़ुढ़तेहै,

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लेकिन लङका नही मिलता…

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लङके कि माँ

जोर-जोर से रोने लगती है,

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बाद मेँ पुलिस को सुचना देतेहै,

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आधे घण्टे बाद

लङका मिल जाता है,

लङके के मिलते ही उसका पति

गाँव का टिकिट लेकर आता है

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और वो सब बस

मेँ बेठ कर गाँव रवाना हो जाते है,

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तभी पत्नी ने पुछा: हम गाँव

क्यो जा रहे हैं?

अपने घर नही जाना है क्या…?

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तभी उसका पति बोला:

“तु तेरी औलाद

के बिना आधा घण्टा नही रह सकती,

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तो मेरी माँ

गाँव मेँ पिछले 10 साल से

मेरे बिना कैसे जी रही होगी..??

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माँ-बाप का दिल दु:खाकर

आजतक कोई

सुखी नही हुआ.

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कदर करनी है,

तो जीतेजी करो,

जनाजा उठाते वक़्त तो

नफरत करने वाले भी रो पड़ते हैं।।।।।।

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प्लीज

सही लगे तो

सभी दोस्तो को जरुर भेजना ,

माँ–
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माँ तो जन्नत का फूल है ,

प्यार करना उसका उसूल है ,

दुनिया की मोह्ब्बत फिजूल है ,

माँ की हर दुआ कबूल है,

माँ को नाराज करना इंसान तेरी भूल है,

माँ के कदमो की मिट्टी ,

जन्नत की धूल है ,

अगर अपनी माँ से है प्यार ,

तो अपने सभी दोस्तो को सेन्ड करे।।

वरना

ये मेसेज आपके लिये फिजूल है।।

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