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*एक बार एक कंजूस लड़के को एक कंजूस लड़की से प्यार हो जाता है।* .

 *एक बार एक कंजूस लड़के को एक कंजूस लड़की से प्यार हो जाता है।*

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*लड़की-जब पापा घर पर नहीं होंगे तो मैं गली में सिक्का फेंकुंगी, आवाज सुन कर तुम तुरंत अन्दर आ जाना।*

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*लेकिन लड़का सिक्का फेंकने के एक घंटे बाद आया।*

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*लड़की-इतनी देर क्यों लगा दी?* 

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*लड़का-वो मैं सिक्का ढूंढ रहा था।*


*लड़की-पागल वो तो धागा बांध कर फेंका था, वापस खींच लिया।*😂


🤣😃😄😀😆😄😂😁😂😁

अधिकतर घरों में बच्चे यह दो प्रश्न अवश्य पूछते हैं जब दीपावली भगवान राम के 14 वर्ष के वनवास से अयोध्या लौटने की खुशी में मनाई जाती है तो दीपावली पर लक्ष्मी पूजन क्यों होता है? राम और सीता की पूजा क्यों नही? दूसरा यह कि दीपावली पर लक्ष्मी जी के साथ गणेश जी की पूजा क्यों होती है, विष्णु भगवान की क्यों नहीं? इन प्रश्नों का उत्तर अधिकांशतः बच्चों को नहीं मिल पाता और जो मिलता है उससे बच्चे संतुष्ट नहीं हो पाते।आज की शब्दावली के अनुसार कुछ ‘लिबरर्ल्स लोग’ युवाओं और बच्चों के मस्तिष्क में यह प्रश्न डाल रहें हैं कि लक्ष्मी पूजन का औचित्य क्या है, जबकि दीपावली का उत्सव राम से जुड़ा हुआ है। कुल मिलाकर वह बच्चों का ब्रेनवॉश कर रहे हैं कि सनातन धर्म और सनातन त्यौहारों का आपस में कोई तारतम्य नहीं है।सनातन धर्म बेकार है।आप अपने बच्चों को इन प्रश्नों के सही उत्तर बतायें। दीपावली का उत्सव दो युग, सतयुग और त्रेता युग से जुड़ा हुआ है। सतयुग में समुद्र मंथन से माता लक्ष्मी उस दिन प्रगट हुई थी इसलिए लक्ष्मीजी का पूजन होता है। भगवान राम भी त्रेता युग में इसी दिन अयोध्या लौटे थे तो अयोध्या वासियों ने घर घर दीपमाला जलाकर उनका स्वागत किया था इसलिए इसका नाम दीपावली है।अत: इस पर्व के दो नाम है लक्ष्मी पूजन जो सतयुग से जुड़ा है दूजा दीपावली जो त्रेता युग प्रभु राम और दीपों से जुड़ा है। लक्ष्मी गणेश का आपस में क्या रिश्ता है और दीवाली पर इन दोनों की पूजा क्यों होती है? लक्ष्मी जी सागरमन्थन में मिलीं, भगवान विष्णु ने उनसे विवाह किया और उन्हें सृष्टि की धन और ऐश्वर्य की देवी बनाया गया। लक्ष्मी जी ने धन बाँटने के लिए कुबेर को अपने साथ रखा। कुबेर बड़े ही कंजूस थे, वे धन बाँटते ही नहीं थे।वे खुद धन के भंडारी बन कर बैठ गए। माता लक्ष्मी खिन्न हो गईं, उनकी सन्तानों को कृपा नहीं मिल रही थी। उन्होंने अपनी व्यथा भगवान विष्णु को बताई। भगवान विष्णु ने कहा कि तुम कुबेर के स्थान पर किसी अन्य को धन बाँटने का काम सौंप दो। माँ लक्ष्मी बोली कि यक्षों के राजा कुबेर मेरे परम भक्त हैं उन्हें बुरा लगेगा। तब भगवान विष्णु ने उन्हें गणेश जी की विशाल बुद्धि को प्रयोग करने की सलाह दी। माँ लक्ष्मी ने गणेश जी को भी कुबेर के साथ बैठा दिया। गणेश जी ठहरे महाबुद्धिमान। वे बोले, माँ, मैं जिसका भी नाम बताऊँगा , उस पर आप कृपा कर देना, कोई किंतु परन्तु नहीं। माँ लक्ष्मी ने हाँ कर दी।अब गणेश जी लोगों के सौभाग्य के विघ्न, रुकावट को दूर कर उनके लिए धनागमन के द्वार खोलने लगे।कुबेर भंडारी देखते रह गए, गणेश जी कुबेर के भंडार का द्वार खोलने वाले बन गए। गणेश जी की भक्तों के प्रति ममता कृपा देख माँ लक्ष्मी ने अपने मानस पुत्र श्रीगणेश को आशीर्वाद दिया कि जहाँ वे अपने पति नारायण के सँग ना हों, वहाँ उनका पुत्रवत गणेश उनके साथ रहें। दीवाली आती है कार्तिक अमावस्या को, भगवान विष्णु उस समय योगनिद्रा में होते हैं, वे जागते हैं ग्यारह दिन बाद देव उठनी एकादशी को। माँ लक्ष्मी को पृथ्वी भ्रमण करने आना होता है शरद पूर्णिमा से दीवाली के बीच के पन्द्रह दिनों में।इसलिए वे अपने सँग ले आती हैं अपने मानस पुत्र गणेश जी को। इसलिए दीवाली को लक्ष्मी गणेश की पूजा होती है। यह कैसी विडंबना है कि देश और हिंदुओ के सबसे बड़े त्यौहार का पाठ्यक्रम में कोई विस्तृत वर्णन नही है और जो वर्णन है वह अधूरा है।इस लेख को पढ़ कर स्वयं भी लाभान्वित हों और अपनी अगली पीढ़ी को भी बतायें। दूसरों के साथ साझा करना भी ना भूलेंI 🌹🌻🌹🌻🌹🌻🪷💕🩷💝💝❤‍🔥💖❣️💞🪯👩‍❤️‍👨Ⓜ️♏🕉️🕉️🕉️🕉️🙏🙏🙏🙏🙏🙏

 अधिकतर घरों में बच्चे यह दो प्रश्न अवश्य पूछते हैं जब दीपावली भगवान राम के 14 वर्ष के वनवास से अयोध्या लौटने की खुशी में मनाई जाती है तो दीपावली पर लक्ष्मी पूजन क्यों होता है? राम और सीता की पूजा क्यों नही? 

दूसरा यह कि दीपावली पर लक्ष्मी जी के साथ गणेश जी की पूजा क्यों होती है, विष्णु भगवान की क्यों नहीं?


इन प्रश्नों का उत्तर अधिकांशतः बच्चों को नहीं मिल पाता और जो मिलता है उससे बच्चे संतुष्ट नहीं हो पाते।आज की शब्दावली के अनुसार कुछ ‘लिबरर्ल्स लोग’  युवाओं और बच्चों के मस्तिष्क में यह प्रश्न डाल रहें हैं कि लक्ष्मी पूजन का औचित्य क्या है, जबकि दीपावली का उत्सव राम से जुड़ा हुआ है। कुल मिलाकर वह बच्चों का ब्रेनवॉश कर रहे हैं कि सनातन धर्म और सनातन त्यौहारों का आपस में कोई तारतम्य नहीं है।सनातन धर्म बेकार है।आप अपने बच्चों को इन प्रश्नों के सही उत्तर बतायें।


दीपावली का उत्सव दो युग, सतयुग और त्रेता युग से जुड़ा हुआ है। सतयुग में समुद्र मंथन से माता लक्ष्मी उस दिन प्रगट हुई थी इसलिए लक्ष्मीजी का पूजन होता है। भगवान राम भी त्रेता युग में इसी दिन अयोध्या लौटे थे तो अयोध्या वासियों ने घर घर दीपमाला जलाकर उनका स्वागत किया था इसलिए इसका नाम दीपावली है।अत: इस पर्व के दो नाम है लक्ष्मी पूजन जो सतयुग से जुड़ा है दूजा दीपावली जो त्रेता युग प्रभु राम और दीपों से जुड़ा है।


लक्ष्मी गणेश का आपस में क्या रिश्ता है

और दीवाली पर इन दोनों की पूजा क्यों होती है?


लक्ष्मी जी सागरमन्थन में मिलीं, भगवान विष्णु ने उनसे विवाह किया और उन्हें सृष्टि की धन और ऐश्वर्य की देवी बनाया गया। लक्ष्मी जी ने धन बाँटने के लिए कुबेर को अपने साथ रखा। कुबेर बड़े ही कंजूस थे, वे धन बाँटते ही नहीं थे।वे खुद धन के भंडारी बन कर बैठ गए। माता लक्ष्मी खिन्न हो गईं, उनकी सन्तानों को कृपा नहीं मिल रही थी। उन्होंने अपनी व्यथा भगवान विष्णु को बताई। भगवान विष्णु ने कहा कि तुम कुबेर के स्थान पर किसी अन्य को धन बाँटने का काम सौंप दो। माँ लक्ष्मी बोली कि यक्षों के राजा कुबेर मेरे परम भक्त हैं उन्हें बुरा लगेगा।

तब भगवान विष्णु ने उन्हें गणेश जी की  विशाल बुद्धि को प्रयोग करने की सलाह दी। माँ लक्ष्मी ने गणेश जी को भी कुबेर के साथ बैठा दिया। गणेश जी ठहरे महाबुद्धिमान। वे बोले, माँ, मैं जिसका भी नाम बताऊँगा , उस पर आप कृपा कर देना, कोई किंतु परन्तु नहीं। माँ लक्ष्मी ने हाँ कर दी।अब गणेश जी लोगों के सौभाग्य के विघ्न, रुकावट को दूर कर उनके लिए धनागमन के द्वार खोलने लगे।कुबेर भंडारी देखते रह गए, गणेश जी कुबेर के भंडार का द्वार खोलने वाले बन गए। गणेश जी की भक्तों के प्रति ममता कृपा देख माँ लक्ष्मी ने अपने मानस पुत्र श्रीगणेश को आशीर्वाद दिया कि जहाँ वे अपने पति नारायण के सँग ना हों, वहाँ उनका पुत्रवत गणेश उनके साथ रहें।


दीवाली आती है कार्तिक अमावस्या को, भगवान विष्णु उस समय योगनिद्रा में होते हैं, वे जागते हैं ग्यारह दिन बाद देव उठनी एकादशी को। माँ लक्ष्मी को पृथ्वी भ्रमण करने आना होता है शरद पूर्णिमा से दीवाली के बीच के पन्द्रह दिनों में।इसलिए वे अपने सँग ले आती हैं अपने मानस पुत्र गणेश जी को।

इसलिए दीवाली को लक्ष्मी गणेश की पूजा होती है।


यह कैसी विडंबना है कि देश और हिंदुओ के सबसे बड़े त्यौहार का पाठ्यक्रम में कोई विस्तृत वर्णन नही है और जो वर्णन है वह अधूरा है।इस लेख को पढ़ कर स्वयं भी लाभान्वित हों और अपनी अगली पीढ़ी को भी बतायें। दूसरों के साथ साझा करना भी ना भूलेंI

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KADVA SHACH आप सभी प्रिय सदस्यों से *नम्र निवेदन* है कि हमारे चैनल की हर पोस्ट को ज्यादा से ज्यादा *ग्रुपों में शेयर करें* और उसे अपने *व्हाट्सएप स्टेटस* पर भी ज़रूर लगाएँ। यह छोटा सा प्रयास हमारे इस परिवार को और भी बड़ा बना सकता है। साथ ही आपसे गुज़ारिश है कि जो भी पोस्ट अच्छी लगे, उस पर *एक इमोजी (😊❤️🙏👍) ज़रूर दें,* ताकि हमें यह समझने में आसानी हो कि आपको किस तरह की *पोस्ट पसंद* आती है। आपका सहयोग ही हमारी ताक़त है। *धन्यवाद*


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*धन्यवाद* 🙏❤️😊

*अपमान* सहन करने वाला

 *विनाश* किए बगैर कभी *शांत*

 नहीं बैठता।।

*उम्मीदे दर्द दे रही थी...*

*मैंने रखना ही छोड़ दिया! 🌸*

*कड़वा सच*


 *सवाल हैं की -* इंसान क्या चाहता हैं

 *जवाब हैं की -* जो हैं उसके अलावा सब..

: *सब ठीक होने तक,*


*सब ख़त्म क्यों हो जाता है?*

 लोग बातें *पकड़* कर 


*इंसान* छोड़ देते हैं :)💔

 तेरे *बदलने* का *दुःख* नहीं हैँ,

मैं तो अपने *भरोसे* पर *शर्मिंदा* हूँ! 💔

 कुछ *हादसे* इंसान

को इतना *ख़ामोश* कर देते हैं कि,

ज़रूरी *बात* कहने का

भी *दिल* नहीं करता.. 💌💫

: 🌸💯

इंसान का *बर्ताव* बताता है,

उसकी *ज़िंदगी* में आपकी कितनी *अहमियत* है..

 😞❤️‍🩹

मेरे *बात* करने या न करने से उसे *फर्क* तक नहीं पड़ता

और कहता है मैं तुमसे *प्यार* करता हूं

 *थक* गया हूं

*रिश्ते* बचाते बचाते, कोई तो मुझे

भी ऐसा मिले जो *खोने* से डरे ✨।

 उस हर एक *व्यक्ति* का शुक्रिया

जिसने मुझे ये *एहसास* कराया

की *कोई* किसी का नहीं होता..!

: *बुरे* वक्त में भी जो तुमसे *जुदा* ना हो,

उसे *गौर* से देखना कहीं *खुदा* ना हो।

 *दौलत* कमायें मगर इतनी भी नहीं कि

जरा *तबीयत* बिगड़ने पर बच्चे *डॉक्टर* की बजाय *वकील* को बुला लें..!!

 समय *बहरा* है, कभी किसी की नहीं *सुनता*,

लेकिन *अंधा* नहीं है, *देखता* सबको है..!!

 *सुबह की नींद इंसान के इरादों* *को कमजोर बनाती है,*

*और मंजिल को हासिल करने* *वाले कभी देर तक नहीं सोते।*

 *रंग* छोड़ते *कपड़े*

और रंग *बदलते* लोग

कितना भी *ब्रांडेड* हो दिल से *उतर* ही जाते हैं।

: *दूरियों* में ही *परखे* जाते हैं रिश्ते,

वरना *आँखों* के सामने तो सभी *वफादार* होते हैं।

 स्वाद *खाने* से नहीं 


*जनाब,*


*भूख* से आता है।

 *🌟 आप सभी का दिल से धन्यवाद 🌟*

आपने इस चैनल को बहुत प्यार दिया, इसके लिए *दिल* से *आभार* 🙏

लेकिन अब इस चैनल को आपकी ज़रूरत है।

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💯 मुझे इस चैनल के हर सदस्य पर पूरा भरोसा है,

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*🙏 एक बार फिर से आप सभी का दिल से धन्यवाद।*

: *बराबरी* ही क्यों करनी है,

आगे भी तो *निकल* सकते हो....

 *मुँह* पर सच बोलने की *आदत* है

इसलिए मैं बहुत *बद्तमीज* हूँ।

 सच्चे लोग *दिल* में उतनी *जगह* नहीं बना पाते,

जितने *मतलबी* और *चापलूस* लोग बना लेते हैं..।

 *लोग जब पूछते हैं*

कि आप क्या *काम* करते हो,

*असल* में

वो *हिसाब* लगाते हैं

कि आपको,

*कितनी इज्जत देनी है..!!*

 एक *पल* नहीं लगता

इस दुनिया से *बिदा* होने में

फिर भी कितना

*गुरूर* है,

*आदमी* को *आदमी* होने में..!!

*कुदरत का सुंदर संदेश !!*

आप पृथ्वी के मेहमान हो,

मालिक नहीं !!

*समय जब अपने पर उतरता है..*

*तो जज भी वकील लिए फिरता है...!!*

 दो तरह की *घड़ी* होती है

एक *टाइम* बताती है,

दूसरी *औकात*...!

 जहां *मूर्खों* का *मंच* होता है,

वहां हर कोई *सरपंच* होता है...!

 🌸🌞 *सुप्रभात जी* 🌞🌸


आज का दिन *प्रेम, अपनापन और रिश्तों* की मिठास से भरा हुआ है,

क्योंकि आज रक्षाबंधन है – *भाई-बहन के पवित्र बंधन का उत्सव।*

ईश्वर से प्रार्थना है कि आपके जीवन में हमेशा

सुख, समृद्धि और खुशियों की डोर बंधी रहे।


💐 *आपका हर दिन राखी के रिश्ते सा मीठा और सुरक्षित हो* 💐


शुभ रक्षाबंधन एवं मंगलमय सुप्रभात! 🌺✨

 घरी की घरी *रह* जाती है... सारी *पढ़ाई* और *डिग्रियां* जनाब, जिंदगी जब कोई *सवाल* पूछती है...

 कभी किसी को *कमजोर* मत समझो *सोने* के आभूषण अक्सर *लोहे की तिजोरी* में रखे जाते है....!!

 *ये शिकायत नहीं...... तजुर्बा है,*

*क़दर करनेवालो की क़दर नही होती.*

 *दो शब्दों के बीच का*

मौन हूँ मैं,

*दुबारा मत पूछना कौन हूँ मैं....*


 *अंत केवल मृत्यु है,*

*हर दिन प्रयत्न करना जीवन है..!!*

: *क्रोध* करके वो सब मत *गवाइएँ*..

जो आपने *शांत* रहकर *कमाया* हैं! 💯

 *चाय* और *राय*

हर *जगह* सही नही मिलती.

 *बिछड़* कर... क्या *लौटेंगे* वो,

जो *साथ* रहकर भी *हमारे* ना थे...

 तू अभी *थोड़ा* और *ज़लील* कर मुझे,

तेरे लिए अभी मेरे *दिल* में प्यार बाकी है

 खुली *किताब* की तरह थे हम ...

पर *अफ़सोस अनपढ़* के हाथ लग गए।

: *आप सभी के अपार प्यार और समर्थन के लिए दिल से आभार* 🙏

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 *अच्छे* वक्त में बताये गए *राज*

बुरे *वक्त* में *नुकसान* देते हैं...

*कॉल फ्री* होने से

क्या होता है *साहब..*

दिलों में *गुंजाइश* भी तो

होनी चाहिए

*‘बात’*

करने के लिए..

सबसे मुश्किल काम है, *समेटना*

फिर चाहें वो..,

*बातें* हो, *रिश्ते* हों, या फिर, *बिखरा*

हुआ *घर*..!!

एक *साल* में...!

50 *दोस्त* बनाना

बहुत छोटी *बात* है लेकिन

*50 साल* तक..!!

एक से ही दोस्ती *निभाना* बहुत *बड़ी* बात है

: ये जो *तुम* ..!

*दिल* के साफ हो न

देख लेना *दिमाग*

वालों से *हार* जाओगे..!!

: *गिराने* के लिए लोग *धक्का* ही नहीं,

*सहारा* भी देते हैं!

 ⚪⚫🔴

*कोई busy नहीं होता,*

*लोग बोर होने पर ignore करने लगते है!*

 लहजे में *बदतमीजी*

और चेहरे पर *नक़ाब* लिए फिरते हैं।

जिनके खुद के *खाते खराब* हैं

वो मेरा *हिसाब* लिए फिरते हैं।।

: कोई मेरे बारे में *गलत* कहे तो

उससे *पूछना* की,

*ठीक से जानते हो..?*

या यूं ही *मन हल्का* कर रहे हो..?

: कुछ लोगो को लगता है

उनकी *चालाकियाँ* मुझे *समझ* नहीं आती

लेकिन मैं *ख़ामोशी* से देखता हूँ उन्हें

अपनी *नजरों से गिरते* हुए

 अपने *किरदार* पर *पर्दा* डालकर

हर *शख्स* कह रहा है

*ज़माना खराब* है..*!!*

*पर्दा नशीन* रहता नहीं कोई *उम्र भर* ग़ालिब,

*वक़्त* की रफ़्तार से उतरते हैं *नक़ाब लोगो* के,

: *लहज़ा* समझ आ जाता है

मुझे *हर* किसी का,

बस उन्हें *शर्मिंदा* करना मेरे *मिज़ाज* में नहीं है..! 💯

*समझ* नहीं आता

बाद में *busy* होने वाले लोग

*शुरू* में इतना *वक्त* लाते

*कहां* से है! ❤️🌹

तेरी *खामोशी* अगर तेरी *मजबूरी* है

तो रहने दे *इश्क़* कौनसा *ज़रूरी* है।🌹

 कोई *तारीफ़* करे तो *तुरंत नाचने मत* लग जाइये.. याद रखिये

तारीफ़ के *पुल* के नीचे *मतलब की नदी* बहती है..

कभी *मकसद* कभी *चाल* कभी *मंसूबे* यार होते हैं

ये वो *दौर* है जिसमें *नमस्कार* के भी *मतलब हजार* होते हैं

 वो *अचानक* से नहीं *बिछड़ा*

बहुत दिनों से *तैयारी* में था... 🤍

 लोगों की *बातों" से दिन गुजर सकता है

लेकिन *जिंदगी* नहीं...

इसलिए *कमाने* की सोचो *जमाने* की नहीं..!! 🔥🖤💯

 *संघर्ष* में तुम *अनाथ* हो मित्र...

*काफ़िला* तो सफलता के बाद *उमड़ता* है!

एक बात *हमेशा याद* रखना

*मक्खन* लगाने वाले के हाथ में *हमेशा चाकू* होता है..!!

: *तलब* ये नहीं कि मैं *लिखूं* तुम *पढ़ो*।

*ख्वाइश* ये है कि मैं *कहूं* तुम *समझो*।

 किसी की *अर्थी यात्रा* में जाओ

तो ये *मत* समझना कि आप उसे उसकी

*मंजिल* पर ले जा रहे हैं

बल्कि ये *समझना*

कि अर्थी पर *लेटा* हुआ *इंसान* तुम्हें

तुम्हारी *मंजिल दिखाने* ले जा रहा है

 *आप सभी के अपार प्यार और समर्थन के लिए दिल से आभार* 🙏

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अच्छा, यहाँ आपके लिए एक मज़ेदार जोक है: टीचर: "न्यूटन का नियम बताओ।" छात्र: "सर, न्यूटन का नियम यह है कि... अगर क्लास में टीचर हों तो बच्चे शांत रहते हैं, और जैसे ही,हाँ, बिल्कुल! यहाँ आपके लिए एक और जोक है: टीचर (छात्र से): "बताओ, दुनिया में सबसे ज़्यादा तेज़ी से क्या फैलता है?" छात्र: "सर, ख़बर!" टीचर: "शाबाश! कोई उदाहरण दो।" छात्र: "जब मैं सुबह स्कूल जाने के लिए लेट होता हूँ, तो ये ख़बर पूरे मोहल्ले में मुझसे पहले पहुँच जाती है कि 'आज फिर देर हो गई!'" टीचर बाहर जाते हैं, बच्चे उछलना-कूदना शुरू कर देते हैं।" टीचर: "तुम्हारा मतलब?" छात्र: "मतलब, जब तक कोई बाहरी बल (टीचर) न लगाया जाए, तब तक वस्तु (बच्चे) अपनी विरामावस्था या एकसमान गति की अवस्था में ही रहती है!"

हाँ, बिल्कुल! यहाँ आपके लिए एक और जोक है:


टीचर (छात्र से): "बताओ, दुनिया में सबसे ज़्यादा तेज़ी से क्या फैलता है?" छात्र: "सर, ख़बर!" टीचर: "शाबाश! कोई उदाहरण दो।" छात्र: "जब मैं सुबह स्कूल जाने के लिए लेट होता हूँ, तो ये ख़बर पूरे मोहल्ले में मुझसे पहले पहुँच जाती है कि 'आज फिर देर हो गई!'"

अच्छा, यहाँ आपके लिए एक मज़ेदार जोक है:

टीचर: "न्यूटन का नियम बताओ।" छात्र: "सर, न्यूटन का नियम यह है कि... अगर क्लास में टीचर हों तो बच्चे शांत रहते हैं, और जैसे ही टीचर बाहर जाते हैं, बच्चे उछलना-कूदना शुरू कर देते हैं।" टीचर: "तुम्हारा मतलब?" छात्र: "मतलब, जब तक कोई बाहरी बल (टीचर) न लगाया जाए, तब तक वस्तु (बच्चे) अपनी विरामावस्था या एकसमान गति की अवस्था में ही रहती है!"

 
























टीचर- इतने दिन कहां थे, स्कूल क्यों नहीं आए? गोलू- बर्ड फ्लू हो गया था मैम। टीचर- पर ये तो पक्षियों को होता है इंसानों को नहीं। गोलू- इंसान समझा ही कहां आपने...रोज तो मुर्गा बना देती हो..!!

 

😂🤣😂🤣टीचर- इतने दिन कहां थे, स्कूल क्यों नहीं आए?

गोलू- बर्ड फ्लू हो गया था मैम।

टीचर- पर ये तो पक्षियों को होता है इंसानों को नहीं।

गोलू- इंसान समझा ही कहां आपने...रोज तो मुर्गा बना देती हो..!!










Pappu yaar main jo bhi kam karta hun Meri bhi bich Mein Jaati Hai kam ka to truck chalane ka

                  
 

*फ्री में क्यों* *चूहा* पिंजरे में इसलिए *फंसता* है क्योंकि वो समझ नहीं पाता है कि *पिंजरे में रखी रो

 *फ्री में क्यों*


*चूहा* पिंजरे में इसलिए *फंसता* है क्योंकि वो समझ नहीं पाता है कि *

पिंजरे में रखी रोटी* उसे *फ्री में क्यों* दी जा रही है।

आप कितने भी अच्छे हो.. कितना भी अच्छा काम कर लो.. एक बात हमेशा याद रखना.. जो ग़लत समझता है.. *मरते दम तक ग़लत ही समझेगा..* क्योंकि नज़र का ऑपरेशन


 

*इतना कमजोर किरदार नहीं है हमारा,* *कि वफ़ादार होने की सफाई देते फिरें,* *हमें यकीन है अपने किरदार पर,*

 


खुद की औकात होगी तो दुनिया कद्र करेगी किसी के दाएं बाएं खड़े होने से किरदार ऊंचे नहीं होते..

 खुद की औकात होगी तो

दुनिया कद्र करेगी

किसी के दाएं बाएं खड़े होने से

किरदार ऊंचे नहीं होते..

*माना की तकलीफे दिल दुखाती हैं पर बहुत कुछ सिखाती भी हैं*

 


बहुत बढ़िया! चलिए अब उसी थीम पर एक छोटी कहानी सुनाता हूँ — शीर्षक रहेगा "अपनों की परछाइयाँ"। कहानी में दर्द, भरोसा, और अंत में आत्म-ज्ञान की एक झलक होगी।

अपनों की परछाइयाँ राहुल एक आम इंसान था — दिल से सीधा, भरोसे से भरा, और अपनों के लिए कुछ भी कर गुजरने वाला। ज़िंदगी ने जब-जब उसे मोड़ा, उसने बस एक बात सीखी थी — “अपनों का साथ सबसे बड़ी ताक़त होता है।” उसके तीन सबसे करीबी दोस्त थे: अमित, विशाल और नीरज। स्कूल से लेकर नौकरी तक, हर मोड़ पर चारों एक-दूसरे के साथ थे। राहुल की ज़िंदगी में जब तरक्की आई, तो उसने अपने दोस्तों को भी साथ उठाया — किसी को नौकरी दिलवाई, किसी की बिज़नेस में मदद की। लेकिन वक़्त का खेल अजीब होता है। एक दिन, राहुल के ऊपर झूठा केस बनाकर उसकी कंपनी में छापेमारी हुई। उसी वक्त उसे पता चला — शिकायत किसी अजनबी की नहीं थी, बल्कि उसी के दोस्तों की थी। उन्होंने मिलकर उसकी पीठ में छुरा घोंपा… पैसे और जलन की आग में। राहुल टूट गया। वो पहाड़-सा इंसान, जो कभी दूसरों का सहारा था, अब खुद अकेला रह गया। हर आवाज़, हर चेहरा उसे चुभता था। कई दिन वो कमरे में बंद रहा, सिर्फ एक सवाल के साथ — "मैंने उनका क्या बिगाड़ा था?" मगर फिर एक शाम, जब सूरज ढल रहा था, उसने खुद से कहा — "शायद मैं ही ग़लत था… जो हर अपने को आईना समझता रहा।" वो उठा, खुद को साफ़ किया, और एक डायरी खोली — पहला वाक्य लिखा: "अब अपनों की परछाइयों से दोस्ती नहीं रखनी..." उस दिन से राहुल ने सीखा कि रिश्ते निभाओ, लेकिन आँखें बंद करके नहीं। और सबसे ज़रूरी बात — अगर कोई तुम्हें लूटे, तो उसे दोष मत दो... बस खुद को इतना मजबूत बनाओ कि अगली बार कोई हिम्मत न करे।

बहुत खूब! चलिए, उसी भाव पर एक पूरी कविता पेश करता हूँ — दर्द, विश्वासघात और आत्म-संवेदना से भरी हुई। शीर्षक रखते हैं: "मुझे लूटा अपनों ने"

मुझे लूटा अपनों ने मुझे लूटा अपनों ने, जख़्म अजनबी क्या देते, हमदर्द बनकर छिप-छिप के वार वही कर देते। जिनके लिए हर मोड़ पे मैं दीवार बना, वो ही मेरे साये से भी किनारा कर गए। जिसे समझा था अपना, वो किरदार बदल गया, हँसी बाँटने वाला, अब खंजर सँभाल गया। हर मोड़ पर वक़्त ने ये एहसास दिलाया, दुश्मन से ज़्यादा ज़हर, अपनों ने पिलाया। मैं गिरा तो हाथ बढ़ाने कोई न आया, जो पास थे, सबने मुँह फेर लिया, हँस आया। अब तन्हा हूँ, पर चैन है इस खामोशी में, कम से कम ज़हर नहीं, है सुकून इस रोशनी में। "अब किसी से गिला नहीं, शिकवा नहीं किसी बात का, जो खोया वो सबक था, जो बचा है वो मेरा साथ है।"

किसी को दुःख देने से पहले ये जरूर सोच लेना की उसके आँसूं आपके लिए सजा बन सकते हैं।

kisee ko dukh dene se pahale ye jaroor sochie usakee aankhen aapake lie saja ban sakatee hain.

बिलकुल सही कहा आपने।

"किसी को दुःख देने से पहले ये जरूर सोच लेना
कि उसके आँसू एक दिन तुम्हारे कर्मों की सजा बन सकते हैं।"

आँसू जब दिल से निकलते हैं, तो ऊपर वाला भी खामोश नहीं रहता।
हर रिश्ता, हर भावना की एक हद होती है — और जब वो टूटती है, तो उसकी गूंज दूर तक जाती है।

आपका ये विचार बहुत गहरा है। क्या आप इसे किसी शायरी, कविता, या कहानी का हिस्सा बना रहे हैं?

 

ऐ ज़िन्दगी, तू शिकायतें ना कर, हर मोड़ पे इक तजुर्बा मिलेगा, ना कर तू डर। 🌄 जो खो गया वो लकीर नहीं, बस एक नक्शा था, अगली राहों का ज़िक्र उसी में छुपा मिलेगा। 🛤️✨ खुशियाँ तन्हा नहीं चलतीं, दर्द साथ लिए चलती हैं, जो मुस्कान तक पहुँचते हैं, वो आंसुओं से भीगते हैं। 🌧️😊 हर ठोकर पे गिरा हूँ मैं, पर हर बार उठ खड़ा हुआ, क्योंकि हार भी कभी-कभी जीत से ज़्यादा सिखा देती है। 🏆🌿 तन्हाइयों से दोस्ती कर ली है मैंने अब, भीड़ में भी अक्सर खुद से मिलने चला जाता हूँ। 🌌 ख़ामोशी की ज़ुबां को समझ लिया है इस क़दर, अब दर्द भी बिना आवाज़ मुस्कुराना सिखा जाता है। 😌🖤 ज़िन्दगी अगर सवाल है, तो हम जवाब बनकर जीएँगे। जो भी हो, जैसे भी हो — ख़्वाबों को आग देकर उड़ान देंगे। 🔥



 ऐ ज़िन्दगी, तू शिकायतें ना कर, हर मोड़ पे इक तजुर्बा मिलेगा, ना कर तू डर। 🌄 जो खो गया वो लकीर नहीं, बस एक नक्शा था, अगली राहों का ज़िक्र उसी में छुपा मिलेगा। 🛤️✨ खुशियाँ तन्हा नहीं चलतीं, दर्द साथ लिए चलती हैं, जो मुस्कान तक पहुँचते हैं, वो आंसुओं से भीगते हैं। 🌧️😊 हर ठोकर पे गिरा हूँ मैं, पर हर बार उठ खड़ा हुआ, क्योंकि हार भी कभी-कभी जीत से ज़्यादा सिखा देती है। 🏆🌿 तन्हाइयों से दोस्ती कर ली है मैंने अब, भीड़ में भी अक्सर खुद से मिलने चला जाता हूँ। 🌌 ख़ामोशी की ज़ुबां को समझ लिया है इस क़दर, अब दर्द भी बिना आवाज़ मुस्कुराना सिखा जाता है। 😌🖤 ज़िन्दगी अगर सवाल है, तो हम जवाब बनकर जीएँगे। जो भी हो, जैसे भी हो — ख़्वाबों को आग देकर उड़ान देंगे। 🔥

ऐ ज़िन्दगी, 🌥 तोड़ कर हमको ऐसे बिखेर दे इस बार, 🌈 न फिर से टूट पायें हम, 😎 और न फिर से जुड़ पाए तू। ☀️😎🌼👌 नजरिया बदल के देख, 💐 हर तरफ नजराने मिलेंगे, ☀️ ऐ ज़िन्दगी यहाँ तेरी तकलीफों के भी दीवाने मिलेंगे। 😎🌷🙈😎 जब भी सुलझाना चाहा ज़िन्दगी के सवालों को मैंने, 🌼 हर एक सवाल में ज़िन्दगी मेरी उलझती चली गई। 🌺🙈🌈👌 यूँ ही खत्म हो जायेगा जाम की तरह जिन्दगी का सफ़र, ☀️ कड़वा ही सही एक बार तो नशे में होकर पिया जाये। 🙈🌼🌷🌷 पानी फेर दो इन पन्नों पर ताकि धुल जाए स्याही सारी, 💐 ज़िन्दगी फिर से लिखने का मन होता है कभी-कभी। 🙌🌥🤐🌼

 ऐ ज़िन्दगी, 🌥 तोड़ कर हमको ऐसे बिखेर दे इस बार, 🌈

न फिर से टूट पायें हम, 😎 और न फिर से जुड़ पाए तू। ☀️😎🌼👌

नजरिया बदल के देख, 💐 हर तरफ नजराने मिलेंगे, ☀️

ऐ ज़िन्दगी यहाँ तेरी तकलीफों के भी दीवाने मिलेंगे। 😎🌷🙈😎

जब भी सुलझाना चाहा ज़िन्दगी के सवालों को मैंने, 🌼

हर एक सवाल में ज़िन्दगी मेरी उलझती चली गई। 🌺🙈🌈👌

यूँ ही खत्म हो जायेगा जाम की तरह जिन्दगी का सफ़र, ☀️

कड़वा ही सही एक बार तो नशे में होकर पिया जाये। 🙈🌼🌷🌷

पानी फेर दो इन पन्नों पर ताकि धुल जाए स्याही सारी, 💐

ज़िन्दगी फिर से लिखने का मन होता है कभी-कभी। 🙌🌥🤐🌼



Sitaron Mein garm Hota

 Sitare mein agar Noor Hota kar Dil majbur Na Hota ham good night bolna jarur aate hain mara ghar dur na hota