प्यार करने वालों पर मत लगाओ Pocso Act | Supreme Court ने Centre को भेजा ...

हाल ही में, सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार से आग्रह किया है कि वह किशोरों के बीच सहमति से बने प्रेम संबंधों को पोक्सो एक्ट (POCSO Act) के तहत अपराध की श्रेणी से बाहर करने पर विचार करे। यह कदम उन मामलों की पृष्ठभूमि में उठाया गया है जहाँ किशोरों के बीच आपसी सहमति से बने संबंधों को भी कठोर कानूनी कार्रवाई का सामना करना पड़ा है, जिससे उनके मानसिक और सामाजिक विकास पर नकारात्मक प्रभाव पड़ा है।

सुप्रीम कोर्ट के निर्देश:

  • सहमति से बने किशोर संबंधों का अपराधीकरण नहीं: सुप्रीम कोर्ट ने माना कि पोक्सो एक्ट का उद्देश्य बच्चों को यौन शोषण से बचाना है, न कि किशोरों के बीच आपसी सहमति से बने प्रेम संबंधों को दंडित करना। इसलिए, कोर्ट ने केंद्र सरकार से अनुरोध किया है कि वह इस विषय पर पुनर्विचार करे और आवश्यक संशोधन पर विचार करे।

  • यौन और प्रजनन स्वास्थ्य शिक्षा नीति: कोर्ट ने यह भी सुझाव दिया है कि सरकार एक समग्र यौन और प्रजनन स्वास्थ्य शिक्षा नीति तैयार करे, जिससे किशोरों को स्वस्थ और जिम्मेदार संबंधों के बारे में जानकारी मिल सके। The Economic Times+1The Times of India+1

  • विशेषज्ञ समिति का गठन: सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार से आग्रह किया है कि वह पोक्सो एक्ट से संबंधित मामलों की समीक्षा के लिए एक विशेषज्ञ समिति का गठन करे, जो इस कानून के दुरुपयोग को रोकने और आवश्यक सुधारों की सिफारिश कर सके। India Today

उच्च न्यायालयों की टिप्पणियाँ:

  • इलाहाबाद उच्च न्यायालय: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने भी यह स्पष्ट किया है कि पोक्सो एक्ट का उद्देश्य किशोरों के बीच सहमति से बने प्रेम संबंधों को अपराध की श्रेणी में लाना नहीं है। इसलिए, ऐसे मामलों में कानून के दुरुपयोग से बचना चाहिए। The Times of India

  • दिल्ली की एक अदालत: दिल्ली की एक अदालत ने एक मामले में आरोपी को बरी कर दिया, जहाँ पीड़िता ने स्वयं स्वीकार किया कि उनका संबंध सहमति से था और वह बालिग थी। इससे यह स्पष्ट होता है कि सहमति और उम्र की सटीक जानकारी के आधार पर निर्णय लेना आवश्यक है। The Times of India

निष्कर्ष:

सुप्रीम कोर्ट और विभिन्न उच्च न्यायालयों की ये टिप्पणियाँ इस दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम हैं, जिससे किशोरों के बीच सहमति से बने संबंधों को अपराध की श्रेणी से बाहर रखा जा सके और उन्हें उचित मार्गदर्शन और शिक्षा प्रदान की जा सके। यह पहल समाज में जागरूकता बढ़ाने और कानून के दुरुपयोग को रोकने में सहायक होगी।

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