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इंदौर से पटना ,कानपुर ,भोपाल, पटना
कानपुर ,भोपाल, पटना
कानपुर ,भोपाल, पटना ,जब लोग गहरी नींद में थे, एक भयानक आवाज गूंजी। इंदौर से पटना जा रही ट्रेन के 14 कोच पटरी से उतर गए। कई बोगियां पिचक गईं। कोच दूसरे कोच पर चढ़ गए। हादसे में 121 की मौत हो गई। 200 से ज्यादा जख्मी हैं। पूरे मामले पर ट्रेन के ड्राइवर जलत शर्मा ने एक रिपोर्ट दी। इस रिपोर्ट में बताया गया है कि झांसी के बाद ही उन्हें खतरे के बारे में पता चला था। जिसके बारे में उन्होंने अफसरों को भी बताया। लेकिन उन्होंने ट्रेन को कानपुर तक ले जाने के लिए कहा। पूरी ट्रेन में लग सकती थी आग...
- रात करीब 1 बजे ट्रेन ड्राइवर जलत शर्मा ने अफसरों को खतरे के संकेत दे दिए थे। झांसी से चलने के बाद दो स्टेशन पार होते ही उन्हें इंजन मीटर पर अधिक लोड दिखा।
- उन्होंने तुरंत साथी डीपी यादव को बताया। इसके बाद झांसी मंडल के अफसरों को जानकारी दी। लेकिन वहां से कहा गया कि ट्रेन को जैसे-तैसे कानपुर तक ले जाओ, फिर देखेंगे।
- झांसी डिविजन के इस ड्राइवर ने सेंट्रल स्टेशन पर चालक लॉबी में सौंपी रिपोर्ट में बताया कि तड़के 3:03 बजे ओएचई केबल (ओवरहेड इलेक्ट्रिक केबल) में तेज धमाके के बाद उसने इमरजेंसी ब्रेक लगाए।
- जिस समय ट्रेन हादसे का शिकार हुई, उसकी स्पीड 110 किमी प्रति घंटा थी। ओएचई में धमाके से लाइन ट्रिप नहीं होती तो पूरी ट्रेन में आग लग सकती थी।
- उन्होंने तुरंत साथी डीपी यादव को बताया। इसके बाद झांसी मंडल के अफसरों को जानकारी दी। लेकिन वहां से कहा गया कि ट्रेन को जैसे-तैसे कानपुर तक ले जाओ, फिर देखेंगे।
- झांसी डिविजन के इस ड्राइवर ने सेंट्रल स्टेशन पर चालक लॉबी में सौंपी रिपोर्ट में बताया कि तड़के 3:03 बजे ओएचई केबल (ओवरहेड इलेक्ट्रिक केबल) में तेज धमाके के बाद उसने इमरजेंसी ब्रेक लगाए।
- जिस समय ट्रेन हादसे का शिकार हुई, उसकी स्पीड 110 किमी प्रति घंटा थी। ओएचई में धमाके से लाइन ट्रिप नहीं होती तो पूरी ट्रेन में आग लग सकती थी।
चश्मदीद ने कहा- ट्यूब जैसी हो गई थी बोगी
- हादसे के बाद मदद के लिए सबसे पहले पहुंचे पुखरायां के पुष्कल पराग दुबे ने भास्कर को बताया, ''मेरा घर घटनास्थल से 2 किमी दूर है। तड़के 3:00 बजे के करीब तेज धमाके की आवाज आई।''
- ''कुछ देर बाद एक मित्र अनादि मिश्रा का फोन आया। बताया ट्रेन पलट गई है। हम तुरंत चार अन्य दोस्तों को लेकर घटनास्थल की ओर रवाना हो गए।''
- ''अंधेरे और कोहरे में साफ दिख नहीं रहा था। कुछ रेलकर्मी और पुलिसवाले टॉर्च जलाते हुए दिखे। पास गए तो नजारा बेहद भयावह था।''
- ''बी-2 कोच मुड़कर ट्यूब जैसा हो गया था। ट्रेन की खिड़कियों से लोग हाथ निकालकर बचाओ-बचाओ की आवाज लगा रहे थे।''
- ''एस-3, एस-2 कोच एक-दूसरे पर चढ़े थे। कुछ पुलिसवाले और हादसे में जीवित बचे यात्रियों के साथ हम घायलों को निकालने में जुट गए।''
- ''हमने मंडी समिति पुखरायां के प्रधान भारत सिंह से बात की और पास की एक ट्रॉली फैक्ट्री से गैस कटर मंगवाया और कोच काटकर लोगों को निकालना शुरू कर दिया।''
- ''अंधेरे और कोहरे में साफ दिख नहीं रहा था। कुछ रेलकर्मी और पुलिसवाले टॉर्च जलाते हुए दिखे। पास गए तो नजारा बेहद भयावह था।''
- ''बी-2 कोच मुड़कर ट्यूब जैसा हो गया था। ट्रेन की खिड़कियों से लोग हाथ निकालकर बचाओ-बचाओ की आवाज लगा रहे थे।''
- ''एस-3, एस-2 कोच एक-दूसरे पर चढ़े थे। कुछ पुलिसवाले और हादसे में जीवित बचे यात्रियों के साथ हम घायलों को निकालने में जुट गए।''
- ''हमने मंडी समिति पुखरायां के प्रधान भारत सिंह से बात की और पास की एक ट्रॉली फैक्ट्री से गैस कटर मंगवाया और कोच काटकर लोगों को निकालना शुरू कर दिया।''
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