Umer Ahmed Ilyasi Ban On Terrorists Burying LIVE: मौलाना के 'ऐलान' से उछ...


उमर अहमद इलियासी के 'ऐलान' से क्यों मच गया है बवाल?

डॉ. उमर अहमद इलियासी के आतंकवादियों को दफनाने से रोकने वाले 'ऐलान' (फतवा) को कई लोग एक साहसिक और ऐतिहासिक कदम मान रहे हैं, लेकिन इसने कई मुस्लिम नेताओं और रूढ़िवादी मौलवियों के बीच एक बड़ी बहस छेड़ दी है। इस ऐलान के पीछे के तर्क और उस पर हुई प्रतिक्रियाओं को यहां और विस्तार से बताया गया है।

ऐलान का आधार और उसका महत्व

  • धर्म और आतंकवाद का अलगाव: इलियासी का मुख्य तर्क यह है कि इस्लाम एक शांतिप्रिय धर्म है और आतंकवाद का इस्लाम से कोई संबंध नहीं है। उन्होंने कहा कि जो लोग हिंसा और निर्दोषों की हत्या करते हैं, वे 'मुसलमान' नहीं हो सकते। उनका ऐलान इस धारणा को मजबूत करता है कि आतंकवादी न तो 'शहीद' हैं और न ही उन्हें धार्मिक सम्मान का अधिकार है।

  • सामुदायिक बहिष्कार: जनाजे की नमाज न पढ़ने और भारत की जमीन पर दफनाने की इजाजत न देने की बात कहकर, उन्होंने आतंकवादियों का मुस्लिम समुदाय से पूरी तरह से बहिष्कार करने की अपील की है। यह बहिष्कार एक शक्तिशाली सामाजिक और धार्मिक संदेश है, जिसका उद्देश्य युवाओं को आतंकवाद के रास्ते पर जाने से रोकना है।

  • इस्लाम की गलत व्याख्या का खंडन: इलियासी ने बार-बार इस बात पर जोर दिया है कि इस्लाम का गलत इस्तेमाल करके युवाओं को गुमराह किया जाता है। उनका यह कदम उन कट्टरपंथी मौलवियों और संगठनों के दावों को सीधे तौर पर चुनौती देता है जो जिहाद की गलत परिभाषा देते हैं।


प्रतिक्रियाएं और विवाद

  • समर्थन: कई उदारवादी मुस्लिम बुद्धिजीवियों और आम लोगों ने इलियासी के इस कदम का स्वागत किया है। उनका मानना है कि यह सही समय पर उठाया गया एक जरूरी कदम है, जिससे मुस्लिम समुदाय की छवि सुधरेगी और वे राष्ट्रीय मुख्यधारा में और अधिक जुड़ेंगे।

  • विरोध और आलोचना: दूसरी तरफ, कुछ रूढ़िवादी मौलवी और इस्लामिक विद्वान इस 'ऐलान' की आलोचना कर रहे हैं। उनका मानना है कि किसी व्यक्ति की मौत के बाद उसके जनाजे की नमाज पढ़ने या न पढ़ने का फैसला लेना किसी एक मौलाना का अधिकार नहीं है। उनके अनुसार, यह फैसला धार्मिक सिद्धांतों के अनुसार ही होना चाहिए। कुछ लोगों ने यह भी कहा है कि इस तरह के ऐलान से समाज में और विभाजन पैदा हो सकता है।

  • राजनीतिक प्रतिक्रिया: इस मुद्दे पर कई राजनीतिक प्रतिक्रियाएं भी आई हैं। कुछ राजनेताओं ने इलियासी के बयान की सराहना की है, जबकि कुछ ने इसे राजनीतिक लाभ लेने की कोशिश बताया है।

कुल मिलाकर, उमर अहमद इलियासी का यह 'ऐलान' आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में एक नई बहस का केंद्र बन गया है। यह दिखाता है कि भारत में मुस्लिम समुदाय के भीतर आतंकवाद को लेकर एक नई सोच और जागरूकता पैदा हो रही है।