India Pakistan News: इस चोट को नहीं भूल सकेगा पाकिस्तान! | Operation Sin...



India Pakistan News: इस चोट को नहीं भूल सकेगा पाकिस्तान! | Operation Sin...

ऑपरेशन सिंदूर भारत द्वारा 7 मई 2025 को पाकिस्तान में आतंकवादी ठिकानों के खिलाफ शुरू किया गया एक सैन्य अभियान था। यह कार्रवाई 22 अप्रैल को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले के जवाब में की गई थी, जिसमें 26 नागरिकों की मृत्यु हुई थी।


🔥 ऑपरेशन सिंदूर: मुख्य बिंदु

  • लक्ष्य और समय: ऑपरेशन सिंदूर के तहत भारतीय वायुसेना ने 23 मिनट की अवधि में पाकिस्तान और पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर के नौ स्थानों पर हमले किए। इनमें बहावलपुर, मुरिदके, सियालकोट, कोटली और मुज़फ्फराबाद शामिल थे। WikipediaWikipedia

  • प्रमुख हथियार प्रणाली: इस ऑपरेशन में राफेल लड़ाकू विमानों से SCALP क्रूज़ मिसाइल और AASM हैमर बम का उपयोग किया गया। इसके अलावा, ब्रह्मोस क्रूज़ मिसाइल और स्काईस्ट्राइकर ड्रोन का भी इस्तेमाल किया गया। Wikipedia+2Wikipedia+2Wikipedia+2

  • लक्ष्य: भारत ने दावा किया कि इन हमलों में जैश-ए-मोहम्मद और लश्कर-ए-तैयबा जैसे आतंकवादी संगठनों के ठिकानों को निशाना बनाया गया, जिसमें 100 से अधिक आतंकवादी मारे गए। AP News


🇵🇰 पाकिस्तान की प्रतिक्रिया

  • ऑपरेशन बुनियान अल-मरसूस: पाकिस्तान ने 10 मई को जवाबी कार्रवाई में ऑपरेशन "बुनियान अल-मरसूस" शुरू किया, जिसमें भारत के कई शहरों, जिनमें नई दिल्ली भी शामिल है, पर ड्रोन और मिसाइल हमले किए गए। Wikipedia

  • आरोप और हताहत: पाकिस्तान ने आरोप लगाया कि भारतीय हमलों में 31 नागरिक मारे गए, जिनमें बच्चे भी शामिल थे। इसके अलावा, पाकिस्तान ने दावा किया कि उसने 12 भारतीय ड्रोन मार गिराए। Wikipedia


🌐 अंतर्राष्ट्रीय मध्यस्थता और युद्धविराम

  • अमेरिकी हस्तक्षेप: संयुक्त राज्य अमेरिका, विशेष रूप से राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप, उपराष्ट्रपति जेडी वेंस और विदेश मंत्री मार्को रुबियो के नेतृत्व में, दोनों देशों के बीच युद्धविराम कराने में सफल रहे। The Australian

  • युद्धविराम की स्थिति: हालांकि युद्धविराम की घोषणा हुई, लेकिन दोनों देशों ने एक-दूसरे पर उल्लंघन के आरोप लगाए। सीमा क्षेत्रों में तनाव और नागरिकों की चिंता बनी हुई है। AP News


🧭 निष्कर्ष

ऑपरेशन सिंदूर भारत की आतंकवाद के खिलाफ निर्णायक कार्रवाई का प्रतीक है, जबकि पाकिस्तान की जवाबी कार्रवाई ने क्षेत्रीय तनाव को और बढ़ा दिया। हालांकि अंतर्राष्ट्रीय मध्यस्थता से युद्धविराम संभव हुआ, लेकिन स्थायी शांति के लिए दोनों देशों के बीच विश्वास बहाली और सतत संवाद आवश्यक है।