बिलकुल सही कहा आपने।
"किसी को दुःख देने से पहले ये जरूर सोच लेना
कि उसके आँसू एक दिन तुम्हारे कर्मों की सजा बन सकते हैं।"
आँसू जब दिल से निकलते हैं, तो ऊपर वाला भी खामोश नहीं रहता।
हर रिश्ता, हर भावना की एक हद होती है — और जब वो टूटती है, तो उसकी गूंज दूर तक जाती है।
आपका ये विचार बहुत गहरा है। क्या आप इसे किसी शायरी, कविता, या कहानी का हिस्सा बना रहे हैं?

1.
कभी किसी की खामोशी को कमज़ोरी मत समझना,
हर सहा हुआ ज़ुल्म एक तूफ़ान की आहट होता है।
2.
जिस दिल को तुमने तोड़ दिया मुस्कुरा कर,
कभी उसी दिल की बद्दुआ रोकेगी तुम्हारी हँसी को।
3.
हर आँसू जो गिरता है नज़रों से,
वो ऊपर वाले की अदालत में गवाही देता है।
4.
जिसे तुमने यूँ ही रुला दिया बेपरवाही से,
कभी वही सिसकियाँ बन जाएँगी तुम्हारी तन्हाइयों की सज़ा।
5.
दर्द देना आसान है, महसूस करना मुश्किल,
मगर याद रखना, वक्त सबका हिसाब रखता है।