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बहुत बढ़िया! चलिए अब उसी थीम पर एक छोटी कहानी सुनाता हूँ — शीर्षक रहेगा "अपनों की परछाइयाँ"। कहानी में दर्द, भरोसा, और अंत में आत्म-ज्ञान की एक झलक होगी।

अपनों की परछाइयाँ राहुल एक आम इंसान था — दिल से सीधा, भरोसे से भरा, और अपनों के लिए कुछ भी कर गुजरने वाला। ज़िंदगी ने जब-जब उसे मोड़ा, उसने बस एक बात सीखी थी — “अपनों का साथ सबसे बड़ी ताक़त होता है।” उसके तीन सबसे करीबी दोस्त थे: अमित, विशाल और नीरज। स्कूल से लेकर नौकरी तक, हर मोड़ पर चारों एक-दूसरे के साथ थे। राहुल की ज़िंदगी में जब तरक्की आई, तो उसने अपने दोस्तों को भी साथ उठाया — किसी को नौकरी दिलवाई, किसी की बिज़नेस में मदद की। लेकिन वक़्त का खेल अजीब होता है। एक दिन, राहुल के ऊपर झूठा केस बनाकर उसकी कंपनी में छापेमारी हुई। उसी वक्त उसे पता चला — शिकायत किसी अजनबी की नहीं थी, बल्कि उसी के दोस्तों की थी। उन्होंने मिलकर उसकी पीठ में छुरा घोंपा… पैसे और जलन की आग में। राहुल टूट गया। वो पहाड़-सा इंसान, जो कभी दूसरों का सहारा था, अब खुद अकेला रह गया। हर आवाज़, हर चेहरा उसे चुभता था। कई दिन वो कमरे में बंद रहा, सिर्फ एक सवाल के साथ — "मैंने उनका क्या बिगाड़ा था?" मगर फिर एक शाम, जब सूरज ढल रहा था, उसने खुद से कहा — "शायद मैं ही ग़लत था… जो हर अपने को आईना समझता रहा।" वो उठा, खुद को साफ़ किया, और एक डायरी खोली — पहला वाक्य लिखा: "अब अपनों की परछाइयों से दोस्ती नहीं रखनी..." उस दिन से राहुल ने सीखा कि रिश्ते निभाओ, लेकिन आँखें बंद करके नहीं। और सबसे ज़रूरी बात — अगर कोई तुम्हें लूटे, तो उसे दोष मत दो... बस खुद को इतना मजबूत बनाओ कि अगली बार कोई हिम्मत न करे।

बहुत खूब! चलिए, उसी भाव पर एक पूरी कविता पेश करता हूँ — दर्द, विश्वासघात और आत्म-संवेदना से भरी हुई। शीर्षक रखते हैं: "मुझे लूटा अपनों ने"

मुझे लूटा अपनों ने मुझे लूटा अपनों ने, जख़्म अजनबी क्या देते, हमदर्द बनकर छिप-छिप के वार वही कर देते। जिनके लिए हर मोड़ पे मैं दीवार बना, वो ही मेरे साये से भी किनारा कर गए। जिसे समझा था अपना, वो किरदार बदल गया, हँसी बाँटने वाला, अब खंजर सँभाल गया। हर मोड़ पर वक़्त ने ये एहसास दिलाया, दुश्मन से ज़्यादा ज़हर, अपनों ने पिलाया। मैं गिरा तो हाथ बढ़ाने कोई न आया, जो पास थे, सबने मुँह फेर लिया, हँस आया। अब तन्हा हूँ, पर चैन है इस खामोशी में, कम से कम ज़हर नहीं, है सुकून इस रोशनी में। "अब किसी से गिला नहीं, शिकवा नहीं किसी बात का, जो खोया वो सबक था, जो बचा है वो मेरा साथ है।"

किसी को दुःख देने से पहले ये जरूर सोच लेना की उसके आँसूं आपके लिए सजा बन सकते हैं।

kisee ko dukh dene se pahale ye jaroor sochie usakee aankhen aapake lie saja ban sakatee hain.

बिलकुल सही कहा आपने।

"किसी को दुःख देने से पहले ये जरूर सोच लेना
कि उसके आँसू एक दिन तुम्हारे कर्मों की सजा बन सकते हैं।"

आँसू जब दिल से निकलते हैं, तो ऊपर वाला भी खामोश नहीं रहता।
हर रिश्ता, हर भावना की एक हद होती है — और जब वो टूटती है, तो उसकी गूंज दूर तक जाती है।

आपका ये विचार बहुत गहरा है। क्या आप इसे किसी शायरी, कविता, या कहानी का हिस्सा बना रहे हैं?

 

ऐ ज़िन्दगी, तू शिकायतें ना कर, हर मोड़ पे इक तजुर्बा मिलेगा, ना कर तू डर। 🌄 जो खो गया वो लकीर नहीं, बस एक नक्शा था, अगली राहों का ज़िक्र उसी में छुपा मिलेगा। 🛤️✨ खुशियाँ तन्हा नहीं चलतीं, दर्द साथ लिए चलती हैं, जो मुस्कान तक पहुँचते हैं, वो आंसुओं से भीगते हैं। 🌧️😊 हर ठोकर पे गिरा हूँ मैं, पर हर बार उठ खड़ा हुआ, क्योंकि हार भी कभी-कभी जीत से ज़्यादा सिखा देती है। 🏆🌿 तन्हाइयों से दोस्ती कर ली है मैंने अब, भीड़ में भी अक्सर खुद से मिलने चला जाता हूँ। 🌌 ख़ामोशी की ज़ुबां को समझ लिया है इस क़दर, अब दर्द भी बिना आवाज़ मुस्कुराना सिखा जाता है। 😌🖤 ज़िन्दगी अगर सवाल है, तो हम जवाब बनकर जीएँगे। जो भी हो, जैसे भी हो — ख़्वाबों को आग देकर उड़ान देंगे। 🔥



 ऐ ज़िन्दगी, तू शिकायतें ना कर, हर मोड़ पे इक तजुर्बा मिलेगा, ना कर तू डर। 🌄 जो खो गया वो लकीर नहीं, बस एक नक्शा था, अगली राहों का ज़िक्र उसी में छुपा मिलेगा। 🛤️✨ खुशियाँ तन्हा नहीं चलतीं, दर्द साथ लिए चलती हैं, जो मुस्कान तक पहुँचते हैं, वो आंसुओं से भीगते हैं। 🌧️😊 हर ठोकर पे गिरा हूँ मैं, पर हर बार उठ खड़ा हुआ, क्योंकि हार भी कभी-कभी जीत से ज़्यादा सिखा देती है। 🏆🌿 तन्हाइयों से दोस्ती कर ली है मैंने अब, भीड़ में भी अक्सर खुद से मिलने चला जाता हूँ। 🌌 ख़ामोशी की ज़ुबां को समझ लिया है इस क़दर, अब दर्द भी बिना आवाज़ मुस्कुराना सिखा जाता है। 😌🖤 ज़िन्दगी अगर सवाल है, तो हम जवाब बनकर जीएँगे। जो भी हो, जैसे भी हो — ख़्वाबों को आग देकर उड़ान देंगे। 🔥

ऐ ज़िन्दगी, 🌥 तोड़ कर हमको ऐसे बिखेर दे इस बार, 🌈 न फिर से टूट पायें हम, 😎 और न फिर से जुड़ पाए तू। ☀️😎🌼👌 नजरिया बदल के देख, 💐 हर तरफ नजराने मिलेंगे, ☀️ ऐ ज़िन्दगी यहाँ तेरी तकलीफों के भी दीवाने मिलेंगे। 😎🌷🙈😎 जब भी सुलझाना चाहा ज़िन्दगी के सवालों को मैंने, 🌼 हर एक सवाल में ज़िन्दगी मेरी उलझती चली गई। 🌺🙈🌈👌 यूँ ही खत्म हो जायेगा जाम की तरह जिन्दगी का सफ़र, ☀️ कड़वा ही सही एक बार तो नशे में होकर पिया जाये। 🙈🌼🌷🌷 पानी फेर दो इन पन्नों पर ताकि धुल जाए स्याही सारी, 💐 ज़िन्दगी फिर से लिखने का मन होता है कभी-कभी। 🙌🌥🤐🌼

 ऐ ज़िन्दगी, 🌥 तोड़ कर हमको ऐसे बिखेर दे इस बार, 🌈

न फिर से टूट पायें हम, 😎 और न फिर से जुड़ पाए तू। ☀️😎🌼👌

नजरिया बदल के देख, 💐 हर तरफ नजराने मिलेंगे, ☀️

ऐ ज़िन्दगी यहाँ तेरी तकलीफों के भी दीवाने मिलेंगे। 😎🌷🙈😎

जब भी सुलझाना चाहा ज़िन्दगी के सवालों को मैंने, 🌼

हर एक सवाल में ज़िन्दगी मेरी उलझती चली गई। 🌺🙈🌈👌

यूँ ही खत्म हो जायेगा जाम की तरह जिन्दगी का सफ़र, ☀️

कड़वा ही सही एक बार तो नशे में होकर पिया जाये। 🙈🌼🌷🌷

पानी फेर दो इन पन्नों पर ताकि धुल जाए स्याही सारी, 💐

ज़िन्दगी फिर से लिखने का मन होता है कभी-कभी। 🙌🌥🤐🌼



Sitaron Mein garm Hota

 Sitare mein agar Noor Hota kar Dil majbur Na Hota ham good night bolna jarur aate hain mara ghar dur na hota

सूरज और चंद्र कभी इकट्ठे नहीं होते

💐 *इस ग्रूप के संचालक का सहृदय अभिनंदन* और धन्यवाद🙏🏻 आज विश्व संचालक दिवस है जो कि ग्रुप एडमिन को समर्पित🙏🏻 सूरज और चंद्र कभी इकट्ठे नहीं होते नदी के किनारे भी कभी एक नहीं होते करोड़ों लोगों की क्या बात करें यहाँ अपने दोनो पैर भी एक साथ नहीं चलते, कोई भी ग्रूप बनाना सहज है लेकिन ग्रूप में सबको साथ लेकर चलना सबके मन में मित्रता का भाव का निर्माण करना कठिन कार्य है,इसीलिए सर्वप्रथम इस ग्रूप के संचालक को मन से हार्दिक आभार जिसने इस ग्रूप को इतना सुंदर स्वरूप दिया।🌹🙏🏻

प्यार और सहकार से भरा पूरा प

प्यार और सहकार से भरा पूरा परिवार ही धरती का स्वर्ग होता है ।

वह कौन सी छवि है जिसने आपके चेहरे पर मुस्कान लाती


वह कौन सी छवि है जिसने आपके चेहरे पर आज मुस्कान ला दी?

एक व्यक्ति बैंक गया।

वह कुछ पैसे निकालना चाहता था। काउंटर पर एक महिला बैठी थी। काउंटर पर बैठी महिला से अपनी स्टेटमेंट लेने के बाद, उस महिला ने उस व्यक्ति को कुछ दिया - वह व्यक्ति यह देखकर अचंभित रह गया। वह सोच में पड़ गया था, कि उस महिला ने उसे यह वस्तु क्यों दी है? उसने महिला से कहा, "मैं कोई डींग नहीं मारना चाहता, परन्तु मैं इससे क्या करूँगा? यह तो मेरे लिए बहुत ही छोटा है?" महिला मुस्कुराई और बोली, "जब आप ATM से पैसे निकालने के लिए जाएंगे, तो इसे अपनी ऊँगली पर पहन लीजियेगा। यह आपका कोरोना वायरस से बचाव करेगा।
उस व्यक्ति को वह वस्तु एक कंडोम प्रतीत हुई थी और उस महिला को उसकी सोच समझ में आ गयी थी।
यह एक मजेदार और हास्यमय कहानी है जो मुझे मुस्कुराने पर मजबूर कर देती है! यह कहानी न केवल हास्यमय है, बल्कि यह हमें यह भी सिखाती है कि कैसे लोगों की सोच और समझ में अंतर हो सकता है।
इस कहानी में उस व्यक्ति की सोच और समझ को देखकर मुस्कुराने का मन करता है, क्योंकि वह कंडोम को एक असामान्य वस्तु के रूप में देखता है और इसका उपयोग समझ नहीं पाता है। लेकिन जब महिला उसे इसका सही उपयोग समझाती है, तो वह अपनी गलती का एहसास करता है और मुस्कुराता है।
यह कहानी हमें यह भी सिखाती है कि कैसे हमें अपनी सोच और समझ को विस्तृत करने की आवश्यकता है, और कैसे हमें दूसरों की बातों को समझने और सुनने की आवश्यकता है।
 

*ऐ ज़िंदगी* *मुश्किलों के सदा हल दे,* *थक न सके ह

*ऐ ज़िंदगी*
*मुश्किलों के सदा हल दे,*

      *थक न सके हम,*
   *फुर्सत के कुछ पल दे,*

       *दुआ यही है दिल से*

  *कि सबका हो सुखद आज,*
*और उस से भी बेहतर कल दे।।*

कहाँ से लाऊँ वो लफ्ज़ जो सिर्फ तुझे सुनाई दे.

कहाँ से लाऊँ वो लफ्ज़ जो सिर्फ तुझे सुनाई दे..

दुनियाँ देखे अपने चाँद को ; मुझे बस तू ही दिखाई दे..💕

कैसे खिलेंगे रिश्तों के फूल

🙏🌿.                      👏🍂🙏🍁

       _*कैसे खिलेंगे रिश्तों के फूल,*_
       _*अगर ढूंढते रहेंगे एक-दूसरे की भूल..*_

       _*जिंदगी में कुछ खोना पडे तो*_
       _*यह दो लाईन याद रखना!*_
       _*जो खोया उसका गम नहीं,*_
       _*पर जो पाया है वह किसी से कम नहीं,*_

       _*जो नहीं है वह एक ख्वाब है,*_
       _*पर जो आप को मिला है वह लाजवाब है!*_

🌴🌹💘                       💓🌴🏕

लुटेरों ने लड़की के सारे ज़ेवर लूट लिए

🤣🤣🤣🤣🤣🤣🤣🤣
लुटेरों ने लड़की के सारे ज़ेवर लूट लिए... लड़की चिल्ला-चिल्लाकर रो रही थी...
.
लोग इकट्ठा हो गए और बोले...
"शुक्र करो... ज़ेवर लुटे हैं...
इज़्ज़त नहीं..."
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लड़की चिल्लाकर बोली...
.
"तुम्हारी माँ का भोसड़ा मादरचोद...
इज़्ज़त बेच-बेच कर ही तो ज़ेवर लिए थे...!!"
😂😂😂😂😂😂😂😂

आंख ने पेड़ पर फल देखा .. लालसा जगी..

*Must read*
         👇
आंख ने पेड़ पर फल देखा .. लालसा जगी.. 
आंख तो फल तोड़ नही सकती इसलिए पैर गए पेड़ के पास फल तोड़ने..
पैर तो फल तोड़ नही सकते इसलिए हाथों ने फल तोड़े और मुंह ने फल खाएं और वो फल पेट में गए.
अब देखिए जिसने देखा वो गया नही, जो गया उसने तोड़ा नही, जिसने तोड़ा उसने खाया नही, जिसने खाया उसने रक्खा नहीं क्योंकि वो पेट में गया
अब जब माली ने देखा तो डंडे पड़े पीठ पर जिसकी कोई गलती नहीं थी ।
लेकिन जब डंडे पड़े पीठ पर तो आंसू आये आंख में *क्योंकि सबसे पहले फल देखा था आंख ने*
*अब यही है कर्म का सिद्धान्त*

      *🐾🍁 .                🍁🐾*

साँसे है, धड़कने भी है... बस दिल तुम्हे दे बैठi हूँ.

*💕साँसे है, धड़कने भी है... बस दिल तुम्हे दे बैठi हूँ...*
*अजीब से दोराहे पर हूँ... जिन्दा हूँ, पर तुम पर मर बैठi हूँ..!!*❤

लफ्जों के भी



*लफ्जों के भी,*
*जायके होते हैं जनाब...*

*परोसने से पहले,*
*चख लेना चाहिये...*

*ऐसा ना हो कि*
*, रिश्तों का स्वाद*
*बिगड़ जाये*

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