किसी को दुःख देने से पहले ये जरूर सोच लेना की उसके आँसूं आपके लिए सजा बन सकते हैं।

kisee ko dukh dene se pahale ye jaroor sochie usakee aankhen aapake lie saja ban sakatee hain.

बिलकुल सही कहा आपने।

"किसी को दुःख देने से पहले ये जरूर सोच लेना
कि उसके आँसू एक दिन तुम्हारे कर्मों की सजा बन सकते हैं।"

आँसू जब दिल से निकलते हैं, तो ऊपर वाला भी खामोश नहीं रहता।
हर रिश्ता, हर भावना की एक हद होती है — और जब वो टूटती है, तो उसकी गूंज दूर तक जाती है।

आपका ये विचार बहुत गहरा है। क्या आप इसे किसी शायरी, कविता, या कहानी का हिस्सा बना रहे हैं?