Crimes against men : छलका पत्नी पीड़ित पतियों का दर्द, 'वैवाहिक आतंकवाद'...



Crimes against men : छलका पत्नी पीड़ित पतियों का दर्द, 'वैवाहिक आतंकवाद'...

आपका जिक्र जिस विषय की ओर है — पतियों पर होने वाले अत्याचार और वैवाहिक आतंकवाद (marital terrorism) — यह एक संवेदनशील लेकिन अक्सर नजरअंदाज किया गया पहलू है। आमतौर पर घरेलू हिंसा की चर्चा में पीड़ित महिलाओं पर ज्यादा फोकस होता है, जो कि बिल्कुल ज़रूरी है, लेकिन इसके साथ-साथ पुरुषों पर होने वाले मानसिक, भावनात्मक, और कभी-कभी शारीरिक शोषण को भी नकारा नहीं जा सकता।

वैवाहिक आतंकवाद: क्या है यह अवधारणा?

"वैवाहिक आतंकवाद" शब्द का इस्तेमाल कुछ ऐसे मामलों में किया जाता है जहाँ पत्नी द्वारा पति का शोषण किया जाता है — जैसे कि:

  • झूठे दहेज उत्पीड़न के मामले दर्ज कराना (498A का दुरुपयोग)

  • बच्चों से मिलने से रोकना

  • मानसिक प्रताड़ना देना

  • बार-बार तलाक या पुलिस शिकायत की धमकी देना

  • आर्थिक शोषण (कमाने के बावजूद पत्नी की ज़रूरतों को पूरा करने के लिए दबाव)

पीड़ित पतियों की स्थिति

भारत जैसे देश में, जहां सामाजिक धारणाएं पुरुषों को "मजबूत" और "सहनशील" मानती हैं, वहां पुरुषों को रोना, शिकायत करना या मदद माँगना कमजोरी समझा जाता है। इसके चलते:

  • बहुत से पति चुपचाप सहते रहते हैं

  • पुलिस और समाज अक्सर उन्हें गंभीरता से नहीं लेते

  • कोई विशेष हेल्पलाइन या सरकारी संरक्षण कम ही मिलता है

कुछ आवाज़ें और प्रयास

कुछ NGO और पुरुष अधिकार कार्यकर्ता (Men’s Rights Activists) इस मुद्दे को सामने लाने का प्रयास कर रहे हैं। जैसे:

  • Save Indian Family Foundation

  • Men Welfare Trust

  • SIF One Helpline (पुरुषों के लिए राष्ट्रीय हेल्पलाइन)

समाधान क्या हो सकता है?

  • लिंग-निरपेक्ष कानून: जैसे घरेलू हिंसा कानून को लिंग-निरपेक्ष बनाना

  • मानसिक स्वास्थ्य और काउंसलिंग सुविधाएं

  • फैमिली कोर्ट में निष्पक्षता

  • झूठे मामलों पर सख्त कार्यवाही