Certainly! Here's the information about the bulldozer action and measures against illegal infiltrators in Assam, explained in Hindi:
देशहित: असम में घुसपैठियों के खिलाफ बुलडोजर एक्शन!
असम में मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा के नेतृत्व में सरकार अवैध घुसपैठियों और अतिक्रमणों के खिलाफ सक्रिय रूप से बुलडोजर कार्रवाई और अन्य उपाय कर रही है। यह उनकी सरकार की एक प्रमुख नीति रही है, जिसका उद्देश्य राज्य की जनसांख्यिकी और भूमि को उन लोगों से बचाना है जिन्हें वे अवैध अप्रवासी मानते हैं, खासकर बांग्लादेश से आने वाले।
बुलडोजर कार्रवाई और बेदखली अभियान
असम सरकार कथित अवैध कब्जे वाली भूमि को खाली कराने के लिए बड़े पैमाने पर बेदखली अभियान चला रही है, जिसमें अक्सर बुलडोजर का इस्तेमाल होता है। इन अभियानों ने विभिन्न क्षेत्रों को निशाना बनाया है, जिनमें शामिल हैं:
धुबरी: हालिया रिपोर्टों से पता चलता है कि संतोषपुर और चिराकोटा जैसे क्षेत्रों में भूमि पर अवैध कब्जे के खिलाफ महत्वपूर्ण बुलडोजर कार्रवाई की गई है।
गोवालपारा: बेदखली अभियानों ने हजारों परिवारों को विस्थापित किया है, जिनमें मुख्य रूप से बंगाली मूल के मुस्लिम निवासी शामिल हैं, जैसे कि आशुदुबी और हासिबिलाब। इन कार्रवाइयों ने जमीयत उलेमा-ए-हिंद (जेयूएच) जैसे कुछ संगठनों की आलोचना को आकर्षित किया है, जो सांप्रदायिक लक्ष्यीकरण और विस्थापितों के लिए पुनर्वास की कमी का आरोप लगाते हैं। सुप्रीम कोर्ट कथित तौर पर गोवालपारा में बुलडोजर कार्रवाई के खिलाफ एक याचिका पर सुनवाई करने वाला है।
गुवाहाटी में वेटलैंड्स: सरकार ने गुवाहाटी में शहरी बाढ़ की समस्याओं को दूर करने के लिए सिलसाको और दीपर बील जैसे वेटलैंड्स से अतिक्रमण हटाने के लिए भी बुलडोजर का इस्तेमाल किया है। इसमें इंटरनेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ होटल मैनेजमेंट (आईआईएचएम) जैसी संरचनाओं को ध्वस्त करना भी शामिल है।
घुसपैठियों के खिलाफ "पुश बैक" रणनीति
बेदखली अभियानों के अलावा, मुख्यमंत्री सरमा ने अवैध घुसपैठ से निपटने के लिए "पुश बैक" रणनीति पर जोर दिया है। इसमें शामिल है:
निर्वासन: असम पुलिस बांग्लादेशी घुसपैठियों की पहचान कर उन्हें बांग्लादेश वापस भेजने में सक्रिय रही है। उदाहरण के लिए, जुलाई 2025 के अंत की रिपोर्टों में श्रीभूमि जिले से 20 घुसपैठियों को वापस भेजने का उल्लेख है, और हाल के महीनों में 350 से अधिक अवैध घुसपैठियों को वापस भेजा गया है।
बढ़ाया गया सीमा सतर्कता: बीएसएफ और असम पुलिस सहित सुरक्षा बलों ने नई प्रविष्टियों को रोकने के लिए भारत-बांग्लादेश सीमा पर अपनी निगरानी बढ़ा दी है।
कानूनी प्रावधान: सरकार अप्रवासी (असम से निष्कासन) अधिनियम, 1950 जैसे कानूनी प्रावधानों का उपयोग कर रही है, जो जिला आयुक्तों को घुसपैठियों की पहचान करने और उन्हें निष्कासित करने का अधिकार देता है।
हिमंत बिस्वा सरमा का रुख और बयान
मुख्यमंत्री सरमा ने अवैध आप्रवासन के खिलाफ लगातार एक मजबूत रुख व्यक्त किया है, अक्सर यह कहते हुए कि असम "सभी भारतीयों के लिए घर है, न कि राज्य की जनसांख्यिकी को बदलने की कोशिश कर रहे अवैध विदेशियों के लिए।" उनके बयानों के प्रमुख बिंदु शामिल हैं:
जनसांख्यिकीय परिवर्तन: वह अक्सर अवैध घुसपैठ के कारण असम की बदलती जनसांख्यिकी के बारे में चिंताओं पर प्रकाश डालते हैं, दशकों से मुस्लिम आबादी में वृद्धि का हवाला देते हुए।
शून्य सहनशीलता: सरमा ने अवैध अप्रवासियों के प्रति "शून्य सहनशीलता" की नीति पर जोर दिया है और इस बात पर जोर दिया है कि कार्रवाई जारी रहेगी।
जनता की जिम्मेदारी: उन्होंने जनता से यह भी आह्वान किया है कि घुसपैठ को रोकना केवल सरकार की नहीं, बल्कि सभी की जिम्मेदारी है।
राजनीतिक प्रवचन: उनकी कार्रवाइयों और बयानों ने अक्सर राजनीतिक वाकयुद्ध को जन्म दिया है, विपक्षी दल सरकार पर भेदभावपूर्ण प्रथाओं का आरोप लगाते हैं। सरमा ने बदले में, कुछ विपक्षी दलों पर घुसपैठियों को बचाने की कोशिश करने का आरोप लगाया है।
"बुलडोजर कार्रवाई" और "पुश बैक" रणनीति राज्य में अवैध घुसपैठ के मुद्दे को संबोधित करने के असम सरकार के प्रयासों के केंद्र में हैं, जो राज्य में एक लंबे समय से चला आ रहा और विवादास्पद मुद्दा है।