वो हँसते हुए स्कूल टूर पर आई थी… सोचा था आज बुज़ुर्गों से मिलकर कुछ सीखने को मिलेगा। पर जैसे ही वृद्धाश्रम के आंगन में पहुंची — वो चेहरा देखा… और उसकी रूह कांप गई। वो उसकी अपनी दादी थीं… जिन्हें वो बरसों से सिर्फ फ़ोटो में देखती आ रही थी। जिसे कभी गोद में झुलाया था, जिसके लिए रात-रात भर जाग कर लोरी गाई थी… वही दादी अब एक कोने में अकेली, चुपचाप तकिये में मुँह छुपाकर रो रही थीं। 👵 जिसे उम्र के इस मोड़ पर सबसे ज़्यादा अपने चाहिए थे… उन्हें ही अपनों ने छोड़ दिया था। वो बच्ची वहाँ खेलने आई थी, पर लौटते वक्त उसके चेहरे पर मुस्कान नहीं, आँखों में गीली सी कहानी थी। हम बड़ी-बड़ी मंज़िलों की तरफ भागते रहे… और पीछे छूटती रहीं वो दादी–नानी जो हमें चलना सिखा रही थीं। 👉 क्या वाकई ये तरक़्क़ी है? या हमने अपनों को खोने का नाम तरक़्क़ी रख लिया है? 📞 आज घर एक फ़ोन कीजिए, हो सकता है आपकी माँ… या दादी… बस उसी फ़ोन की आवाज़ सुनने को जी रही हों। --- #DilSe #FamilyMatters #RespectElders #GrandmotherLove #EmotionalPost #ViralFeelings #HeartTouching #MaaKiMaa #OldAgeHome #HumanityStillLives

 वो हँसते हुए स्कूल टूर पर आई थी…

सोचा था आज बुज़ुर्गों से मिलकर कुछ सीखने को मिलेगा।

पर जैसे ही वृद्धाश्रम के आंगन में पहुंची —

वो चेहरा देखा… और उसकी रूह कांप गई।

वो उसकी अपनी दादी थीं…

जिन्हें वो बरसों से सिर्फ फ़ोटो में देखती आ रही थी।


जिसे कभी गोद में झुलाया था,

जिसके लिए रात-रात भर जाग कर लोरी गाई थी…

वही दादी अब एक कोने में अकेली,

चुपचाप तकिये में मुँह छुपाकर रो रही थीं।


👵 जिसे उम्र के इस मोड़ पर सबसे ज़्यादा अपने चाहिए थे…

उन्हें ही अपनों ने छोड़ दिया था।


वो बच्ची वहाँ खेलने आई थी,

पर लौटते वक्त उसके चेहरे पर मुस्कान नहीं,

आँखों में गीली सी कहानी थी।


हम बड़ी-बड़ी मंज़िलों की तरफ भागते रहे…

और पीछे छूटती रहीं वो दादी–नानी जो हमें चलना सिखा रही थीं।


👉 क्या वाकई ये तरक़्क़ी है?

या हमने अपनों को खोने का नाम तरक़्क़ी रख लिया है?


📞 आज घर एक फ़ोन कीजिए,

हो सकता है आपकी माँ… या दादी…

बस उसी फ़ोन की आवाज़ सुनने को जी रही हों।


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