🗳️ क्या चल रहा है बिहार में वोटर लिस्ट रिवीजन?
-
चुनाव आयोग ने 24 जून 2025 को Special Intensive Revision (SIR) प्रक्रिया शुरू की, जिसमें सभी मतदाताओं को फॉर्म भरना अनिवार्य किया गया। 25 जुलाई तक फॉर्म जमा करना है Navbharat Times+6Wikipedia+6NDTV India+6।
-
अब तक लगभग 88% फॉर्म प्राप्त हो चुके हैं; इसमें मृतक, प्रवासियों और डुप्लिकेट नामों के 35 लाख से अधिक निस्तारण के संकेत हैं ।
🔍 प्रमुख समस्याएं और आरोप-प्रत्यारोप
-
35 लाख नाम हटेंगे: इनमें से करीब 12.5 लाख मृतक, 17.4 लाख स्थाई तौर पर बाहर रहने वाले और 5.7 लाख डुप्लीकेट नाम शामिल हैं ।
- विदेशी प्रविष्टियाँ: नेपाल, बांग्लादेश और म्यांमार से आने वाले कई नाम पहचान में आए हैं; उन्हें हटाने की तैयारी है
- दस्तावेजों की समस्या: आरंभ में केवल 11 दस्तावेज स्वीकार किए गए थे—आधार, वोटर आईडी, राशन कार्ड शामिल नहीं—जिससे दस्तावेजी कमी वाले लोग बाहर हो सकते थे
- क्षेत्रीय असमानता: पटना में आधार स्वीकार हो रहा है, लेकिन सीमांचल जैसे इलाकों में नहीं, जिससे प्रक्रिया में असमानता बनी हुई है
⚖️ सुप्रीम कोर्ट का दिशा निर्देश
10 जुलाई को सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव आयोग को निर्देश दिया कि वोटर आईडी, आधार और राशन कार्ड को प्रमाण के रूप में मान्यता दी जाए, ताकि वास्तविक मतदाता वंचित न हों The Times of India+15Wikipedia+15Navbharat Times+15।
🏛️ राजनीतिक बयानबाजी
-
कांग्रेस–राहुल गांधी: आरोप लगाए कि यह “चुनाव चोरी की चुपचाप तैयारी” है, महाराष्ट्र निर्माण जैसी साजिश The Times of India+2Navbharat Times+2Navbharat Times+2।
-
तेजस्वी यादव (RJD): इसे basesless करार दिया और कहा कि यह राजनीतिक डर को दर्शाता है NDTV India+1Navbharat Times+1।
-
NDA सहयोगी (JDU): प्रक्रिया को जल्दबाजी बताया, और कहा कि यह 1–2 साल में सही तरीके से होनी चाहिए थी Wikipedia+1Navbharat Times+1।
-
बीजेपी (शहनवाज़ हुसैन): कहा कि सुप्रीम कोर्ट पर भरोसा करना चाहिए, और विपक्ष इसे राजनीतिक बनाता है